Sonali Upadhyaya's profile

Save the old cities


Wrote this poem about the crumbling old city in Benaras. Drew the illustration to go along with it
सीढ़ी, सड़कों, दीवारों से.
गलियों, कूचों, बाज़ारों से.
आँगन और चौखट और नुक्कड़,
चारास्तों से, चौबारों से.

मंदिर तक जाते रस्ते से,
जो घाट पे जा कर गिरता था.
गलियों को छेड़ के जो उनके,
आगे-पीछे को फिरता था.

उस छत से जिस की गोदी में,
सर्दी की धूप सो जाती थी.
जहाँ शाम ढले अनगिनत पतंगे,
उतर समर में आती थीं.

फिर पूछा रुक-रुक कर मैंने,
हाट की सब दूकानों से.
जहाँ सौदा करते आये थे,
कभी रुपये, कभी चार आनों से.

पर नहीं मिला, 
 अब किसे याद,
अब कौन पता दे सकता है?
था शहर पुराना वैसे भी,
बिक गया, कबाड़ था, अच्छा है.
Save the old cities
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Save the old cities

Wrote this poem about the crumbling old city in Benaras. Drew the illustration to go along with it.

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