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अंगना परबत, देहरी बिदेस

अंगना परबत, देहरी बिदेस by
डॉ. आशा चौधरी

किताब के बारे में...

लव मैरिज के पंद्रह सालों बाद परिवार की तीन भाइयों में इकलौती लाड़ली बहन को घर बुलाया गया है क्योंकि पापाजी बीमार हैं। एक भाई विदेश में बस गया है तो बाकी दो भाई देश में ही अस्पताल चलाते हैं। ये मेरा उपन्यास इतने अंतराल में बदल गए रिश्तों के समीकरण हल करने की कोशिशें करने में लिखा गया है जिसमें आपसी रिश्तों के साथ-साथ प्रकृति से हमारे रिश्तों की भी भरपूर चर्चा हुई है। संबंधों के निर्वाह के संदर्भ में बेटी व बेटों के व्यवहार में जो अंतर होता है उसे भी मैंने सहज तौर पर अभिव्यक्त करने का प्रयास किया है।

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अंगना परबत, देहरी बिदेस
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